हमारी आदतें ही हमारा आईना होती हैं जो ये दिखाती हैं कि हम असल में अंदर से कैसे person है. Success के concept से related पिछले 200 साल के लिटरेचर को स्टडी करने और 3000 से भी ज्यादा डिफरेंट फील्ड के सक्सेसफुल लोगों से मिलने के बाद author Stephen Covey ने 7 Habits of Highly Effective People book में एक बहुत ही interesting बात कही है। उन्होंने अपनी स्टडी से यह जाना कि पिछले 50 साल में जितनी भी self improvement से रिलेटेड बुक्स लिखी गई हैं।
उनमें से मोस्टली बुक्स में हमें सिर्फ यह सिखाया गया है कि अपनी पर्सनैलिटी को कैसे बेहतर करें जैसा कि पब्लिक इमेज कैसी होनी चाहिए। आप लोगों से कैसे बात करते हो? ज्यादा से ज्यादा पैसा कैसे कमाया जाए? और कुछ tricks जिससे आप लोगों को इंप्रेस कर पाएं। खैर ये सब चीज भी important है. Stephen Covey अपनी बुक 7 Habits of Highly Effective People में आपकी पर्सनैलिटी पर नहीं बल्कि आपके कैरेक्टर को डेवलप करने पर फोकस करते है.
जिसे author inside out approach बोलते है. क्योंकि 50 साल से पहले 150 सालों तक जितनी भी बुक्स लिखी गई हैं वो इंसान के character को develop करती थी जो किसी भी इनसान की सक्सेस की फाउंडेशन होती है. जैसे honesty, ethics, manner, moral values etc. इसीलिए अपनी outer personality को बेहतर करने से पहले आपको अपने कैरेक्टर को और अपने आपको अंदर से बेहतर करना चाहिए जिसे built करने में हमारी ये article आपकी मदद करेगी।
1.1 Be Proactive:
मान लीजिए दो circles है.
~ circle of concern:
जिसमें वह सारी चीजें आती हैं जिन्हें आप बिल्कुल कंट्रोल नहीं कर सकते. जैसे मौसम कैसा है, लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, पॉलिटिक्स, इकॉनमी etc.
~ Circle of influence:
सारी चीजें आदि जिन्हें आप कंट्रोल कर सकते हैं जैसे आपका attitude, आपकी choices, आपके decisions. आप अपने free time में क्या करते हैं, किसके साथ अपना टाइम स्पेंड करते हैं, आपकी habits, hobbies etc. Author बताते हैं कि जिंदगी जीने के दो तरीके हैं या तो आप reactive हो सकते हों या proactive.
1.2 Be Reactive:
ये लोग अपनी लाइफ circle of concern के अकॉर्डिंग जीते हैं. मतलब आप उन सभी चीजों के बारे में कंप्लेंट करते हैं जो उनके कंट्रोल में नहीं होती और जो चीजें उनके कंट्रोल में होती हैं वो उन पर act नहीं करते और खुद की रिस्पांसिबिलिटी नहीं लेते. सारा blame दूसरे लोगों या अपनी किस्मत पर डालते है। किसी भी सिचुएशन में सोचने से पहले react कर देते हैं। वही proactive लोग इनसे बिल्कुल opposite होते हैं।
उनकी लाइफ Circle of influence के around revolve होती है. वो ये जानते हैं कि उनकी लाइफ उनके डिसीजन का रिजल्ट है ना कि उनकी किस्मत का pro active लोग कभी उन चीजों के बारे में कंप्लेन नहीं कहते जिसे वो कंट्रोल नहीं कर सकते. बल्कि वो उन सभी चीजों के responsibility लेते हैं जिसे वो रियल में चेंज कर सकते हैं और उन पर proactively act करते हैं।
एक proactive और reactive person के बीच ये सिंपल डिफरेंस होता है कि एक reactive person कुछ भी होने पर बिना ज्यादा सोचे over react या negative react करता है। वहीं एक proactive person सिचुएशन को अच्छे से समझ कर हैंडल करने की कोशिश करता है. सल्यूशन निकालता है और रिएक्ट करने से ज्यादा सही act करने में फोकस करता है।
2. Begin with The End in Mind:
आप लाइफ में जहां भी जाना चाहते हैं वो जो कुछ भी अचीव करना चाहते हो उसके लिए आपके पास एक map होना चाहिए जहां आपको पता हो कि आपको लाइफ में क्या करना है। आपके goals क्या हैं आपके destinations क्या है. उस destination तक पहुंचने के लिए आपके पास क्या प्लान है। इमैजिन करें आप एक सीढ़ी चढ़ रहे हों और ऊपर बढ़ते चले जा रहे हों। ये आपकी लाइफ की सीढ़ी है। आप बहुत मेहनत कर रहे हो सही काम कर रहे हों और हर महीने हर साल आप अपनी लाइफ में प्रोग्रेस करते जा रहे हों।
लेकिन जैसे ही आप सीढ़ी के टॉप पर पहुंचने लगते हो आपको रियलाइज होता कि ये सीढ़ी तो गलत दीवार पर लगी थी और अब आप बहुत ऊपर आ चुके हो और वापस भी नहीं जा सकते। अब ज्यादातर लोग अपनी लाइफ ऐसे ही जीते हैं। उनका कोई vision नहीं होता वो बस लोगों की life को देखते हैं। कौन सबसे ज्यादा खुश है और बस उनको कॉपी करता है। इसीलिए author कहते हैं कि आपकी लाइफ में एक purpose होना चाहिए जो आपका end goal है।
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बिना end goal के आप अपनी लाइफ का कंट्रोल दूसरों के हाथों में दे दोगे। अगर आपको नहीं पता कि आपकी लाइफ का purpose क्या है तो यह सोचो कि आप क्या चाहते हो की लोग आपको कैसे याद रखें। आप इस दुनिया में क्या value add कर रहे हो। खुद से सवाल पूछने से आप अपने end goal के बारे में जानेंगे और उसे अचीव करने के लिए ऐक्शन लेना शुरू करोगे।
3. Put First Things First:
हमारे vision को reality बनाने के लिए हमें continues actions लेने पड़ते हैं। सभी distractions को avoid करके अपने end goal पर फोकस रहना पड़ता है और यहां हम अपने daily routine और habits को challenge करते हैं। आपके लिए इस टाइम सबसे important क्या है? आपकी एजुकेशन, आपके रिलेशनशिप्स, या आपकी health और क्या आप अपनी लाइफ की इम्पॉर्टेंट चीजों को अपना ज्यादा से ज्यादा टाइम और efforts दे रहे हों या बेकार चीजों में टाइम वेस्ट कर रहे हों।
इसीलिए हमें put first things first हैबिट को अपनी लाइफ में ऐड करना चाहिए। इस हैबिट को डेवलप करने से हम सिंपली हर दिन सबसे पहले उन टास्क पर अपना सबसे ज्यादा effort करते हैं जो हमारे लिए सबसे important होता है जो हमारी लाइफ में सबसे ज्यादा वैल्यू करता है। जैसे अगर आपकी health बहुत खराब है और आप अपने best shape में नहीं हों तो इस वक्त आपके नंबर वन प्रायरिटी आपकी हैल्थ होनी चाहिए।
आप अपनी डायट को प्लान करना चाहिए। हर दिन एक्सरसाइज करनी चाहिए और जंक फूड को avoid करना चाहिए। लेकिन आप ऐसा नहीं करते। आलस और लालच में अपनी कंडिशन को और खराब करते जाते हैं पर जब हमारे माइंड में ये क्लियर हो जाता है कि हमारे लिए क्या करना जरूरी है तो हम बाकी सारी चीजों से पहले उस काम को प्रायरिटी देने लगते हैं।
4. Habits of Highly Effective People Think Win-Win:
हम में से ज्यादातर लोगों का ये मानना है कि दो लोगो में किसी एक को जीतने के लिए दूसरे का हारना जरूरी है जिसे author win-lose relationship कहते हैं। Mostly लोग इसी mentality से जीते हैं वो अपने फायदे के लिए दूसरों का नुकसान करते हैं खुद को बड़ा दिखाने के लिए दूसरों को छोटा फिल कहते हैं। Author कहते हैं हमें इस win-lose mentality को छोड़कर win-win mentality को develop करना चाहिए. Win-win mentality में आप ये सोचते हो कि आप कैसे सामने वाले का फायदा करा सकते हो जिससे आपको भी फायदा हो सके।
For example: हम आपसे ये article share कर रहे हैं आपके साथ books के valuable knowledge share कर रहे है. जिससे आपको फायदा हो रहा है और साथ ही आप अपने दोस्तों के साथ share कर रहे हैं तो इस केस में हम दोनों के लिए win-win situation है. जिसमें एक को जीतने के लिए दूसरे को हारना नहीं पड़ रहा है बल्कि दोनों ही जीत रहे हैं।
5. Seek First to Understand, Then to be Understood:
Author को एक बार अपने बेटे के साथ डील करने में कुछ प्राब्लम आ रही थी। वैसे बात तो करते थे लेकिन कोई फायदा नहीं होता था वह उनकी बात ही नहीं मानता था। इस प्रॉब्लम को लेकर वो अपने एक दोस्त के पास गए और कहा मैं अपने बेटे को बिल्कुल नहीं समझा पा रहा हूं वह मेरी कोई बात नहीं सुनता. अब यह सुनकर उनका दोस्त कहता है एक मिनट तुम्हारा बेटा तुम्हारी बात नहीं सुनता इसीलिए तुम उसे नहीं समझ पा रहे। मुझे लगता है उसे समझने के लिए तुम्हें उसकी बातें सुननी और समझनी चाहिए।
अब ज्यादातर लोग इस बात को जानते हैं कि दूसरों को समझाने के लिए हमें उन्हें सुनना चाहिए ना कि बस अपनी बातें उन्हें सुनानी चाहिए. लेकिन कोई इस बात पर इम्प्लीमेंट नहीं कर पाता या करते हैं तो बहुत कम लोग. सब यही चाहते हैं कि सामने वाला इंसान हमारी तरह सोचे, जो हम कह रहे हैं वो उसपर अमल करे। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि इस दुनिया में हर इंसान के अपने डिफरेंट एक्सपीरिएंस हैं।
जिस वजह से दुनिया के लिए उनका अपना perception है और हमारा अलग. हम कितनी भी ट्राय कर लें कोई हमारी तरह से नहीं सोच सकता। इसीलिए हमें अपनी एनर्जी लोगों को अपनी तरह बनाने में वेस्ट नहीं करनी चाहिए. बल्कि हमें उनकी बातें सुनकर उनका परसेप्शन समझना चाहिए कि वो क्या सोचते हैं। उसके पीछे का रीजन क्या है और हमें उनकी बातों को actual में फील करना चाहिए कि अगर हम उनकी जगह होते तो हम भी ऐसा ही फील कर रहे होते। इसे author empathic listening बोलते हैं जहां लोग सुनने की एक्टिंग नहीं कर रहे बल्कि रियल में सामने वाले पर्सन की बातों को समझ रहे होते हैं।
6. Synergy:
जैसा कि हमने आपको बताया कि हर इंसान एक दूसरे से कितना अलग है। हर किसी के अपनी belife, अपनी ideology है, life और career या business को लेकर अपनी अलग अप्रोच है। लोगों के एक दूसरे से डिफरेंट होने की वजह से उनसे डिसकनेक्ट रहना या accept कर लेना भी सही नहीं है। बल्कि author कहते हैं कि हमें डिफरेंसेज का बेनिफिट लेना चाहिए और लोगों की अलग अलग नॉलेज और एक्सपीरिएंस से खुद को इम्प्रूव करना चाहिए।
जैसे सारी बड़ी कंपनी के सीईओ अपने साथ अलग अलग subject और field के एक्सपर्ट्स को रखते हैं ताकि वो सब मिलकर उस कंपनी को ग्रो कर पाएं। वैसे ही हाइली इफेक्टिव लोग ही जानते हैं कि अकेले हम ज्यादा कुछ अजीब नहीं कर सकते इसीलिए हमारा लोगों से अच्छे रिलेशंस बिल्ड करके उनको अपने साथ लेकर चलना बहुत इम्पॉर्टेंट है। For example हमारी बॉडी के अलग अलग organs मिलकर पूरी बॉडी को फंक्शन कर रहे होते हैं। वैसे ही कई सारे लोग मिलकर synergy form करते हैं और मिलकर कई एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी goals अचीव करते हैं।
7. Sharping The Saw:
ये सारी 6 habits को built करना एक पेड़ को काटने जैसा है जिसमें बहुत मेहनत लगती है। लेकिन किसी भी पेड़ को काटने के लिए आपकी saw यानि कि आरी शार्प होनी चाहिए। इन 6 habits को हैंडल करने के लिए आपको भी अपनी saw को शार्प रखना चाहिए जिसे करने के लिए आपको इन फोर एरियाज को इंप्रूव करते रहना चाहिए।
a. Physical – आपके माइंड को अपने best form में काम करने के लिए आपकी बॉडी अपने best state में होनी चाहिए। इसीलिए आप अपनी physic का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
b. Spiritual – अपनी बॉडी के साथ आपको अपनी spiritual side की भी care करनी चाहिए। मेडिटेशन, प्रेयर, म्यूजिक, art etc. जो भी काम आपको piece of mind देता है वो सब करें।
c. Mental Health – अपने माइंड को grow करते रहें। सीखते रहो बुक्स पढ़ें, सेल्फ इंप्रूवमेंट वाली वीडियो देखो, जो आपको बेहतर बनाए नया एक्सपीरिएंस लो दो से लोगों को सिखावो। Knowledge gain करो और अपनी मेंटल हेल्थ की अच्छे से केयर करें।
d. Social – अपनी relationship को maintain रखना, इंडिपेंडेंट रहना, अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के साथ टाइम स्पेंड करना ये सब आपको emotional support provide करेगा और आप socially better बन पाएंगे। इन चारों एरियाज को इम्प्रूव करते रहने से आप खुद को energies रख पाएंगे ताकि आप बाकी सारी हैबिट्स को अपनी लाइफ में successfully implement कर पाओ।