में अपना रोजिंदा office work कर रहा था अचानक unconsciously मेरा मनोबल हाथ में लिया और Instagram check करने लगा WhatsApp check करने लगा और ऐसे Mobile Addiction से टाइमपास करने लगा। मुझे कुछ मिनट बाद समझ में आया कि ये मैं क्या कर रहा हूं मुझे तो important work करना है। फिर मैंने मोबाइल बंद करा और वापस काम start किया.
ऐसा Mobile Addiction कभी न कभी आपके साथ भी हुआ होगा। पर क्यूं होता ऐसा reason और solution इस article के lesson number 1 और 2 में आपको मिलेंगे प्लस इस article में हम Mobile Addiction के बारेमे discuss करेंगे एक गलत फहमी के बारे में जो हममें से maximum लोगों को होती है फोकस करने को लेके उसके पीछे जो BIAS है।
उसे भी हम डिसकस करेंगे lesson number 3 में plus end में हम सीखेंगे एक simple 30 minutes solution जो hyper focus book के author ने जिस book की summary के बारेमे हम बात करेंगे उसके author ने कूद try किया। अपने इस फोकस न कर पाने की प्रॉब्लम से लड़ने के लिए जिसने बहुत फायदा भी दिया और इस सल्यूशन से उन्होंने तीन बहुत बरन फायदे सीखे हैं जो इस article के end में हम डिसकस करेंगे. इसलिए इस article को end तक जरूर पढ़े। अगर आप अपनी मोबाइल की लत को खतम करना चाहते हो तो.
Lesson 1 – Attention is Limited:
यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया के प्रोफेसर टिमोथी विल्सन ने एक रिसर्च कंडक्ट करी जिसमें उन्हें पता चला कि हमारा ब्रेन हर सेकंड इलेवन मिलियन बिट्स ऑफ इन्फर्मेशन को रिसीव करता है और जिसमे से वो एक सेकंड में सिर्फ फोर्टी बेखौफ इन्फोर्मेशन ही प्रोसेस कर पाता है। मतलब वो इन्फॉर्मेशन बहुत सारी लेता है बहुत से प्रोसेस नहीं कर पाता और यही रीजन है कि हम कभी भी एक साथ दो लोगों के साथ दो डिफरेंट टॉपिक्स पर बात नहीं कर सकते हैं.
क्योकि बस एक पर्सन से बात करते हुए ही हमारे brain की जो कपैसिटी है वह फुल हो जाती है। इमैजिन करो की आप अपने किसी फ्रेंड से बात कर रहे हो तो ऐसे time पे आपका ब्रेन कुछ इस तरह से काम करेगा।
- सबसे पहले वो आपके फ्रेंड की सारी बातें सुनेगा और इन सारी बातों की एक पिक्चर आपके माइंड में क्रिएट करेगा।
- वो ये रीजन समझेगा कि आपका फ्रेंड ये सारी बातें क्यूं बोल रहा है और इन सारी बातों का आपके past experience के बेसिस पे क्या सेंस बन रहा है।
- फिर आप साथ ही साथ ये भी सोच रहे होगे कि इसे कैसे रिप्लाय करना है और आपना आंसर प्रिपेयर कर रहे होंगे।
अब एक्चुअली अपनी बात बोल रहे हो और अपनी फ्रेंड की बॉडी लैंग्वेज और राशन को नोटिस भी कर रहे हो और ये सारी चीजें जब होती है तो हमारा ब्रेन वहां सारी स्पेस कंज्यूम करता है। इस कॉन्सेप्ट को author Attentional Space कहते हैं. Meaning एक प्रोसेस को fully focus के साथ डाइजेस्ट करने के लिए आपको जितनी mental capacity की नीड होती है उसे ही Attentional Space कहते हैं.
Author कहते हैं कि Attentional Space हमरे brain की RAM की तरह होती है। जैसा आपके फ़ोन या कंप्यूटर में जितनी ज्यादा RAM होगी वो system भी उतना अप्लीकेशंस को हैंडल कर पाएगा बिना hang हुए. अगर आपके ब्रेन का भी अटेंशन स्पेस ज्यादा होगा तो आप उतना ज्यादा फोकस अपने इम्पोर्टेन्ट टास्क को दे सकोगे। एक टेस्ट करते चलो आपके एडवेंचरस स्पेस में अभी कितनी चीजें चल रही है। हो सकता है कि आप इसे पढ़ रहे हो या देख रहे हों। इस मर्ज को समझने की कोशिश कर रहे हो।
साथ ही साथ हो सकता है कि आपको कहीं जाना भी होगा। आपको किसी को कॉल करना होगा आप उसके बारे में भी शायद सोच रहे होगे। बात ये कि अगर आप अपने एडवेंचरस स्पेस को फिक्स करना चाहते हो तो उसका सबसे पहला स्टेप यही है कि आपको इन सारी बातों से अवेयर रहना होगा जो आपका अटेंशन स्पेस कंज्यूम कर रहा है occupie कर रहा है और वो चीजें क्या क्या होती है ये आपको lesson number 2 में मालूम पड़ेगा.
जब आप अपना पूरा स्पेस का यूज करते हो और सिर्फ एक टास्क में फोकस करते हो तभी आप ज्यादा प्रोडक्टिव रहते हो। इसलिए suggest करूंगा कि वो अपने पूरे फोकस के साथ बस इस Mobile Addiction article को कंज्यूम करो। उसके बाद जो भी आपका टास्क है बस उसे एक काम को अपना पूरा स्पेस दो। जब आप ऐसा करोगे तो आप बहुत ज्यादा एफिशंट काम कर पाओगे और इसे ही hyperfocus कहते हैं।
Lesson 2 – Switching Off Autopilot Mode:
Author जब अपनी daily behaviour को नोटिस कर रहे थे तो उन्होंने नोटिस किया कि वो जब भी कोई इम्पोर्टेन्ट काम कर रहे होते हैं तो अचानक बीच बीच में वो अपना फोन चेक करने लगते हैं तो कुछ शुरू में समझ नहीं आराह था कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। बड़ी रिसर्च और मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात करने के बाद उन्हें पता चला कि इसके पीछे एक साइंटिफिक रीजन होता है जिसे author बोलते हैं ‘Autopilot Mode’ में आपका ब्रेन ऑटोमैटिकली distracting चीजों की तरफ जाने लगता है जिसमें आपको कोई कंट्रोल नहीं रहता है।
For example author जब भी काम करने के लिए अपना लैपटॉप ओपन करते हैं तो अपने आप पहले अपना फेसबुक ओपन कर देते हैं। कुछ सर्फ करते हैं अपना टाइम वेस्ट करने के बाद फिर वो गिल्टी फील करते हैं और ये साइकल बहुत बार चलता है। जो चीज हमेशा आपके साथ भी होगी. उसका सलूशन क्या है? Autopilot Mode ऑफ करने के लिए author एक task सजेस्ट करते हैं बनाना जिसमें हम अपनी डेली टास्क को 4 categories में डिवाइड करना चाहिए। क्या है वो कैटेगरीज है।
1. Necessary Work:
जो टास्क प्रोडक्टिव और unattractive होते हैं author उन्हें necessary work कहते हैं जहां वो सारे काम आते हैं. जो आपकी लाइफ में वैल्यू करते हैं जैसे कि आप एक स्टूडेंट हो तो आपका necessary work है पढ़ाई करना, रिसर्च करना, असाइनमेंट कंप्लीट करना, जो करना आपके लिए इम्पोर्टेन्ट है लेकिन वो चीज़ unatractive भी हैं तो ऐसे सारे कामों को अब necessary work के नीचे डाल दो.
2. Unnecessary Work
जो task unproductive और unattractive होते हैं वो होते हैं Unnecessary Work जिसे करना या न करने से आपकी लाइफ में कोई वैल्यू ऐड नहीं होती है. ये काम करने में आपको मजा भी नहीं आता है बस फिर भी कई बड़ी चीज़ करते आप. जैसे की celebrity के बारे में गॉसिप करना रेंडम अपने किसी friend से बात करना. जो जरा भी पसंद नहीं फिरभी उसके से बात करना. Author बताते हैं कि ये Mobile Addiction काम जनरली आप necessary Work से एस्केप करने के लिए करते हो।
3. Distracting Work
जो task unproductive होते हैं लेकिन अट्रैक्टिव होते हैं इसे Distracting Work बोलते हैं। ये वो काम होते हैं जो आपको necessary Work करने से रोकते हैं। जेसे social media use करना netflix में movie देखना गेम्स खेलना ये सभी Distracting Work में आते हैं। ये काम जो होते हैं वो आपको instant gratification देते हैं. इसलिए आप इसे बाबा करना चाहते हो।
4. Purposeful Work
जो टास्क प्रोडक्टिव और अट्रैक्टिव दोनों जगह उन्हें author Purposeful Work बोलते हैं. और यही काम आपकी लाइफ में सफलता इम्पैक्ट करते हैं। जैसे कि for example किसी फाइनैंशल एडवाइजर के लिए मार्केट के बारे में रिसर्च करना बुक्स पढ़के अपनी नॉलेज को इनक्रीज करना ये सारी चीजें उनके लिए Purposeful Work हो सकता है।
अगर उनको time मिलता है तो अपनी फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करना, अकेले बैठकर राइटिंग करना, एक लंबी वॉक पर जाना, ऐसी कई सारी चीजे Purposeful Work है जो आपको करनी चाहिए। अब कोई भी काम करते वक्त अपने आपको टाइम टू टाइम रिमाइंड करते हो की आपका जो काम है वो इन 4 tasks में से किस part आता है ये चीज को हमेशा याद रखो. क्योंकी सबसे बड़ी बात ये है कि इस दुनिया के जो सबसे प्रोडक्टिव और हैपी स्लो होते हैं अपना ज्यादा time वो necessary और Purposeful Work को देते हैं. जबकि अन सक्सेसफुल लोग unnecessary और distracting work को देते हैं जो आपको नहीं करना है।
Lesson 3: The BIAS
एक रिसर्च से ये पता चला है कि जब हम अपने फोन को अपने आसपास रखते हैं और अपने कंप्यूटर कुछ काम करते हैं तो हम सिर्फ 40 seconds के लिए ही एक चीज पर फोकस कर पाते हैं। उसके बाद हम किसी ना किसी चीज से डिस्टर्ब हो ही जाते हैं और यही चीज गलतफहमी भी है जो मैक्सिमम लोगों को लगता है कि यहां पर distraction में प्रॉब्लम है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि distraction तो सिर्फ एक प्रॉब्लम का symptom है। रिसर्च के according हमारा brain आज distract नहीं बल्कि over stimulated है। मतलब हमारा दिन चीजो से distract नहीं होता है बल्कि हमेशा distraction को ही चेस करता है। ह्यूमन ब्रेन को हमेशा नई इन्फॉर्मेशन चाहिए। नया एक्सपीरियंस चाहिए जिसे नॉवेल्टी बोलते हैं। सोशल मीडिया के feeds, TV, Games, जिसे लोग distraction मानते हैं। Mobile Addiction actually वो ब्रेन को नॉवेल्टी देता है डोपामिन रिलीज करता है जो ब्रेन को हद से ज्यादा पसंद है.
Brain के इस mechanism को ही novelty bias भी बोलते हैं जो आपको अच्छा फील कराते हैं। इसलिए फिर आप उस सेम फीलिंग पाने के लिए बार बार उस काम को करते हो. For example मानलो आप पढ़ाई कर रहे हो और suddenly आपके फोन में नोटिफिकेशन आती है आपके फ्रेंड का जिसने इन्स्टाग्राम पर आपको कोई पोस्ट या reel send करी है।
तो फौरन फिर आपको अपना फोन चेक करने की urge feel होती है क्युकी आपके brain को पता है कि फोन में इन्स्टाग्राम ओपन करने से आपको कुछ तो फनी या कुछ मजेदार मिल सकता है जिसे फौरन आपके ब्रेन में डोपामाइन रिलीज होता है। ये बात आपको समझनी है कि आपके माइंड का अटेंशन एक्चुअली आपके काम पर कभी नहीं होता है बल्कि आपके माइंड का मेन फोकस सारे Mobile Addiction distraction पर ही होता है कि क्यों उसे ही पसंद करता है और आपको उस फोकस को अपने काम पर लाना सीखना है ना इसका अपोजिट है और ये करने के लिए आपको exercise help करेगी।
Lesson 4: Mobile Addiction Exercises:
कुछ साल पहले author को किसी भी काम में फोकस करने में बहुत प्रॉब्लम होती थी। उनका attention span बहुत ही कम था जिस वजह से उन्होंने अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बहुत प्रॉब्लम्स फेस करी और फिर एक दिन उसने डिसाइड किया कि इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकाल के ही रहेंगे। उन्हें अपनी daily behavior को observe करना शुरू किया। हर दिन के end में वो अपने पूरे दिन को recap करते थे जैसे किसी सीरियल में होता है।
Mobile Addiction वो देखते थे कि उन्होंने अपने पूरे दिन में क्या क्या किया जिसे उन्होंने एक बहुत कॉमन चीज ऑब्जर्व करी जिसे author series of screen का नाम देते हैं। उन्होंने notice करा कि सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक 90% टाइम उनका अटेंशन किसी न किसी स्क्रीन पर ही होता था। example वो अपने दिन की शुरुआत अपने फोन का अलार्म बंद करने से करते और कुछ देर सोशल मीडिया feeds देखते और बाकी apps में time pass करते.
फिर ब्रेकफास्ट खाते अपने आईपैड की स्क्रीन पर कुछ देखते हुए और फिर पूरा दिन कंप्यूटर के सामने बैठे रहते। साथी अपने स्मार्टवॉच की स्क्रीन पर भी बहुत सारा टाइम देते. देखे तो कई सारे अलग अलग स्क्रीन्स थी जो उनका बहोत सारा time waste कर रही थी। author बताते हैं कि इन सब में जो सबसे बड़ा devil था वो Mobile Addiction उनका फोन जिसके अंदर वो हर दिन घंटों waste करते थे. ये आपके साथ भी होता होगा.
ये simple चीज समजने के बाद author ने क्या किआ की 1 month केलिए अपने फ़ोन से दूर रहना start करदिया. उन्होंने खुदके उपर experiment करा. Author ने deside किआ की हर दिन अपने phone को सिर्फ 30 minutes ही use करेंगे. जिसमे सारे important calls, music, या न्यूज़ देखेंगे और यही चीज 1 month तक लगातार follow किआ. जो करने की वजह से 3 important चीजे observe करी वोभी 1 हफ्ते के अंदर वोहे
- Increase in attention span उनको focus करने में कम efforts लगाने पड़ते थे
- Author के दिमाग में new ideas आने लगे. जो पहले नहीं आते थे.
- Future के बारे में clearly सोच पारहे थे. Thoughts और plan better होगये थे
Conclusion:
ये सब हुआ एक Mobile Addiction electronic device को remove करने से. सर्फ एक चीज करने से 3 मेजर changes आये उनकी life में. तो आपको क्या लगता है ये आपको भी करना चाइये की नहीं? हमें comment में जरुर बताये आप क्या सोच ते है इस Mobile Addiction experiment के बारे में.