मोबाइल फोन और कंप्यूटर तो आप सभी यूज करते होंगे. ये जरूर जानते होंगे कि आपके मोबाइल फोन और कंप्यूटर में प्रोसेसर लगा होता है जिससे कि वो वर्क करता है। पर क्या आपको पता है कि वो Mobile Processor रेत से बना होता है? यानी sand से बना होता है। आपके फोन के अंदर जो processor use होता है उसका बेसिक कंपोनेंट एक silicon chip जो उसके अंदर लगा होता है. उस सिलिकॉन चिप को बनाने का raw material है silica जो कि रेत के अंदर पाया जाता है। अब यहां पर एक question निकल के आता है कि मोबाइल प्रोसेसर बनाने में सिर्फ सिलिकन का ही यूज क्यों किया जाता है?
तो सिलिकन एक सेमी कंडक्टर एक semi conductor nature का element है. Conductor ऐसी चीज को बोलते हैं जिसके through electricity (बिजली) easily पास हो सके। अब सिलिकन के थ्रू इलेक्ट्रिसिटी तो पास हो सकता है पर वो कितना amount में पास होगा और कब होगा इसे हम इसलिए कंट्रोल कर सकते हैं. इसीलिए हम उसे semi conductor nature का element बोलते हैं। सिलिकन के इसी नेचर का यूज Mobile Processor से बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यह पूरा प्रोसेस 2 factories में होता है।
1. Process A:
Factory में sand को heat करके तक़रीबन 1000 डिग्री सेल्सियस पर और स्पेशल कैमिकल ट्रीटमेंट से उसके अंदर से सिलिका निकाला जाता है। सैंड के अंदर से जो सिलिकन निकलता है वो छोटे छोटे क्रिस्टल्स के रूप में बाहर आता है. जिसके बाद उन क्रिस्टल्स को हीट करके और फिर एक स्पेशल कैन तलते के through solid silicon का सिलेंडर बनाया जाता है। इसका वजन तक़रीबन 100kg या 200kg होता है। इस प्रोसेस से जो सिलिकन का solid silicon तैयार होता है उसे ingot कहा जाता है. ये तैयार सिलिकन का cylinder 99.999999 pure होता है.
जिसके बाद के इस cylinder का एक्सरे और भी दूसरे टेस्ट करके देखा जाता है कि क्या ये प्योर है या फिर नहीं। अगर ये सिलेंडर उन टेस्ट में पास हो जाता है तो फिर इसके पतले पतले स्लाइसेस काटे जाते हैं जिसे वेफर्स कहा जाता है। ये वेफर्स चिप मैनुफैक्चरिंग के बताए गए थिकनेस के अनुसार काटा जाता है. जिसके बाद इन वेफर्स को पॉलिश करके एकदम smooth बना दिया जाता है. जिससे कि इनके सरफेस का roughness एकदम ना के बराबर हो जाए। अब यहां पर इस फैक्ट्री का काम खतम हो जाता है।

2. Process B:
अब ये तैयार वेफर्स उन कंपनीज को पहुंचा दिए जाते है जहां chip manufacturing होता है यानि की जहां पर फैब्रिकेशन प्रोसेस होता है. जहां पर पहुँचने के बाद वेफर्स के ऊपर millions of transistors बनाए जाते हैं. जिस प्रोसेस की शुरुआत होती है सबसे पहले एक individual chip के ब्लूप्रिंट बनाने से जो कि आर्म(arm) नाम की एक कंपनी सभी मोबाइल चिप manufacturers को सप्लाई करती है। जिस जगह पर इन चिप्स को बनाया जाता है वह दुनिया के सबसे साफ जगहों में से एक है। कहने के आप किसी आपरेशन थियेटर में अगर गये होंगे तो देखेंगे कि वहां कितना साफ सफाई होती है।
जिस पार्टी में इन चिप्स को बनाया जाता है वहां पे आपरेशन थियेटर से भी 100 या 1000 times ज्यादा साफ सफाई होती है क्योंकि एक नाखून के बराबर चीप में millions of transistors बनाना होता है. वहां एक छोटा सा डस्ट पार्टिकल भी पूरे सर्किट को खराब कर सकता है। अब यहां पर फाइनली शुरू होता वेफर्स के चीप में बदलने का प्रोसेस। जहां पर सबसे पहले इन वेफर्स के ऊपर एक silicon dioxide की layer चढ़ाई जाती है.
3. Photo Sensitive Chemicals Layer:
उसके बाद एक photo sensitive chemicals की layer चढ़ाई जाती है। इस photo sensitive chemicals चढ़ाने के प्रोसेस को photolithography जाता है। अब जो डिजायन क्रिएट हुआ था चिप्स का उसे इस वेफर्स पे बनाया जाता है। इस प्रोसेस को अल्ट्रा वायलेट लाइट के थ्रू किया जाता है. यानि की उस डिजायन के टेबलेट के ऊपर से अल्ट्रावायलेट लाइट पास कराया जाता है और उसके नीचे एक लेंस लगा होता है जो पूरे लाइट बीम को एकदम छोटा कर देता है. एक स्पेसिफिक प्वाइंट पर फोकस कर देता है। अब जहां जहां पर ultraviolet ray गिरता है वहा का
photoresist material soluble हो जाता है. जहां पे UV ray नहीं गिरता है वो hard ही रह जाता है। अब इन वेफर्स को एक सॉल्वेंट में डुबोया जाता है जहां पर जो भी soluble photoresist material था वो सभी धूल के हट जाता है और hard वाला रह जाता है। इसके बाद शुरू होती है एचिंग प्रोसेस. जिसके बाद फिर photoresist layer को हटाया जाता है। अब ट्रांजिस्टर का जो डिजाइन शेप था वो दिखाई देने लगता है. जिसके बाद एक बार फिर उसके ऊपर photoresist chemicals का एक layer चिढ़ाया जाता है. फिर से UV light में expose करके उसे धोया जाता है। उसके बाद doping process शुरू होता है.
4. Doping Process:
जहां पर सिलिकन के अंदर iron implant किये जाते हैं जिससे कि ट्रांजिस्टर के अंदर इलेक्ट्रिसिटी का फ्लो कंट्रोल किया जा सके। इस डोपिंग प्रोसेस के बाद फिर photoresist layer को हटा दिया जाता है और उसके ऊपर कॉपर की या चढ़ाई जाती है। जिसके बाद चिप के अंदर डिजाईन के अनुसार ट्रांजिस्टर के बीच wiring की जाती हैं। ये सभी चीजे एकदम माइक्रोस्कोपिक लेवल पर होती है। यानि की ये आप अपनी आँखों से देख नहीं सकते। आप जो एक पतला सा चिप देखते हैं उसके अंदर 7 से 8 layer of wiring होती है. जिसके बाद wafer को कट किया जाता है।
5. Testing And Packaging:
एक wafer के अंदर बहुत सारे चिप्स बनते हैं जिसको अलग अलग कट करके निकाल लिया जाता है। अब हर चिप की टेस्टिंग की जाती है और फिर उसे फाइनली पैक कर दिया जाता है। इन चिप्स की पैकेजिंग एक स्पेशल काले कलर के केस में की जाती है जिनके साइड से काटे निकले होते हैं, आपने देखा भी होगा। उसी केस के अंदर इन चिप्स को उसके वायर से जोड़ा जाता है यानि उसके अंदर wiring की जाती है।
आप उस काले कलर के प्रोसेसर के अंदर से दोनों साइड से तार निकले हुए दिखते हैं वो अंदर चीप से जाकर जुड़े हुए होते हैं और फिर इसे मोबाइल manufacturer को दे दिया जाता है ताकि वो अपने मोबाइल में लगा सकें। इस पूरे प्रोसेस में 3 से 4 महीने का टाइम लगता है और सैकड़ों छोटे छोटे स्टेप होते हैं जिनके थ्रू प्रोसेसर बनता है. कई प्रोसेस को तो बार बार रिपीट भी किया जाता है। इस article में मैंने आपको एक overview दिया है कि प्रोसेसर कैसे बनता है।
वाकई में ये एक बहुत ही hard और complex process है। अब ऐसा नहीं है कि इन स्टेप्स से आपके मोबाइल का प्रोसेसर ही बनता है। आपके कंप्यूटर का प्रोसेसर बनाने के लिए भी same steps follow होते हैं। यहां पर अंतर सिर्फ इतना ही है कि जहां मोबाइल प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी को चिप्स का स्ट्रक्चर और ब्लूप्रिंट दूसरी कंपनी प्रोवाइड करती है.
Conclusion:
वहीं इंटेल जैसे का जो कंप्यूटर का प्रोसेसर बनाती है वो अपने डिजाइन और चिप्स दोनों खुद ही बनाती है। एक छोटे से माइक्रोचिप के अंदर मिलियन ट्रांजिस्टर लगे होते हैं और इन्हें इंडिविजुअल ट्रांजिस्टर के बीच का जो अंतर है उसको आप नैनोमीटर से नापते है. यानि की आप जो सुनते होंगे। 5 nanometer का प्रोसेसर, 7 nanometer का प्रोसेसर, 10 nanometer का प्रोसेसर. ये इन्हीं दो ट्रांजिस्टर के बीच का डिस्टेंस होता है। ये डिस्टेंस जितना कम होगा उतना ही प्रोसेसर का इनर्जी कंजप्शन कब होगा अगर प्रोसेसर फास्ट होगा.