दोस्तो कभी आपने यह सोचा है कि Stones on Railway Track क्यों होते हैं। हर बार जब भी आप ट्रेन में सफर करते हों तब आप इन पटरी पर पड़े हुए पत्थर को देखते हो जिसे गिट्टी भी कहते हैं और आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि रेल ट्रैक के आसपास इतने सारे पत्थर क्यों बिछे होते हैं। इसकी जगह किसी दूसरी चीज का प्रयोग क्यों नहीं होता है। सबसे पहली बात जो आपको यह जाननी चाहिए वो ये है कि रेल की पटरियां जो आप देखते हों वो इतनी सिम्पल नहीं होती जितनी ये असल में दिखाई देती हैं।

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1. Stones on Railway Track:

उन पटरी के नीचे कंक्रीट से बने लंबे प्लीट्स होते हैं जिनको की स्लीपर्स कहा जाता है और स्लीपर के साथ जो पत्थर बिछा हुआ रहता है। इन सभी पत्थरों को ballast कहते हैं और इस ballast के निचे दो और लेयर होते हैं जो पीले और भूरे रंग के होते हैं जो एक प्रकार की मिट्टी ही होती है। इसके बाद natural ground या जमीन जो आप हरे रंग का होता है. हममें से ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि किसी सिम्पल जमीन के ऊपर पटरी बिछी होती है। लेकिन यह सच नहीं है।

ट्रैक को अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको मालूम चल जाएगा कि रेल की पटरी थोड़ी उंचाई पर बनाई जाती है। उसके नीचे बहुत सारी सेटिंग्स होती हैं यह जो sleepers पर जिसके ऊपर यह पटरी बिछी रहती है। यह भी बहुत जरूरी होती है। यह कंक्रीट के बने स्लीपर्स पटरी के बीच के गैप को बनाए रखते हैं। इन पत्थरों का मुख्य काम है मतलब यह पत्थर इस सीमेंट के लंबे लंबे स्लीपर्स को एक जगह पर रखती है और यह sleeper पर इस लोहे के बने पटरी को एक जगह पर होल्ड करती है।

पर इस पकड़ के चलते चलती हुई ट्रेन चाहे जितनी भी भारी हो जितनी भी तेजी से चल रही हो यह लोहे की बनी हुई पटरी और या कंक्रीट के स्लीपर्स अपनी जगह पर फिक्स रहते हैं। इस पत्थर का एक और काम है। जैसा कि आप सब जानते ही होंगे कि अगर पत्थर की गिट्टी नहीं डाली जाए तो ट्रैक पर तो ट्रैक कुछ समय के बाद ऐसा दिखेगा।

2. Importance of Track Ballast:

Importance of Track Ballast

मतलब main काम पत्थर ही कर रहा है। एक ट्रेन का वजन लगभग 10 से 15 लाख किलो होता है तो आप सोच सकते हैं कि एक लोहे का बना हुआ पतला सा ट्रैक ही इस भारी ट्रेन को नहीं संभाल पाएगा। एक ट्रेन को संभालने में इस लोहे का इस कंक्रीट के बने स्लीपर्स का और इन पत्थरों का इन सबका मिलकर योगदान होता है। पर अगर देखा जाए फैक्ट ये है कि सबसे ज्यादा लोड इन पत्थरों पर ही होता है यह पत्थर ही वो चीज है जो ट्रैक को एक जगह फिक्स रखती है।

पर रेलवे ट्रैक के नीचे कोई ऐसी वैसी गिट्टी का प्रयोग नहीं किया जाता। सिर्फ रफ और नुकीले पत्थर का प्रयोग किया जाता है ताकि वो आपस में टकराकर घूमें ना और नुकीली होने के कारण एक दूसरे में मजबूत पकड़ बनाकर रखें और जब भी भारी ट्रेन इनके ऊपर से निकले तो ये नुकीले पत्थर आपस में मजबूत पकड़ बनाए रखें जो कि गोल पत्थर आपस में नहीं कर सकते। ट्रैकों पर घास और पेड़ पौधे भर जाएंगे तो यह पत्थर इन घास और पेड़ पौधों को उगने से रोकते हैं और साथ ही ट्रैक पर पानी को जो पानी के जमाव को भी रोकते हैं पर आखिरी महत्वपूर्ण बात मैं आपको बता देता हूं।

3. Track Ballast Keeps Train Stable:

जब Stones on Railway Track पर ट्रेन चलती है तो कंपन पैदा होती है और इस कारण पटरियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है तो कंपन कम करने के लिए और पटरियों को फैलने से बचाने के लिए ट्रैक के ऊपर पत्थर बिछाए जाते हैं। पटरी पर जब ट्रेन तेजी से चलती है तो सारा वजन कंक्रीट के बने से sleepers पर आ जाता है। इसके आस पास मौजूद पत्थरों से कंक्रीट के बने स्लीपर को स्थिर रहने में आसानी होती है।

इन Stones on Railway Track की वजह से train track पर फिसलते नहीं हैं तो अगली बार जब आप ट्रेन में सफर कर रहे हों तो इन पत्थरों को आप सल्यूट कर देना और लोहे की प्रैट की जगह इन पत्थरों को नोटिस करना कि कैसे ये पटरी को एक जगह पर रखते हैं। तो दोस्तो अब आप जान गए होंगे कि रेल की पटरी पर पत्थर क्यों होते हैं।