हर साल बहुत से नए बिजनेस शुरू होते हैं लेकिन ज्यादातर बिजनेस पहले ही साल में फेल हो जाते हैं। इन स्टार्टअप्स के फेल होने के कॉमन रीजंस में से एक होता है Startup Funding की कमी और ये तो सभी जानते हैं कि किसी भी बिजनेस को चलाने और सक्सेसफुल बनाने के लिए पैसे का होना बहुत जरूरी होता है।
ऐसे में entrepreneur के पास ये चैलेंज होता है कि अपने स्टार्ट अप के लिए फंड को कैसे अरेंज करें. इसका जवाब जानने के लिए ऐसे फंडिंग ऑप्शंस के बारे में जानना जरूरी है जो स्टार्टअप के लिए फंड कलेक्ट कर सकते हैं और ऐसे ऑप्शंस आपको आज के article में मिलने वाले हैं। चलये जानते है स्टार्टअप के लिए फंडिंग के बेस्ट तरीके।
1. Crowdfunding:
स्टार्टअप के फंडिंग के लिए क्राउड फंडिंग एक बहुत अच्छा ऑप्शन होता है। इसके लिए entrepreneur को क्राउड फंडिंग प्लैटफॉर्म पर अपने बिजनेस का detailed description देना होता है जिसमें बिजनेस गोल्स, प्रॉफिट प्लान्स के अलावा फंडिंग amount जैसी इंफॉर्मेशन देनी होती है। इन्हें कंज्यूमर्स रीड कर सकते हैं और अगर उन्हें आइडिया पसंद आए तो वो अपना पैसा इसमें इनवेस्ट भी कर सकते हैं। ऐसे में कोई भी मनी कंट्रीब्यूट कर सकता है जो डोनेशन के फॉर्म में भी हो सकती है और प्रोडक्ट को पहले खरीदने की प्रोसेस भी हो सकती है। इंडिया में पॉपुलर क्राउड फंडिंग websites है –
- Wishberry
- Ketto
- Kickstarter
- Dream Wallters
- Milaap
2. Angel Investment:
कई बार स्टार्टअप्स को ऐसे investors मिल जाते हैं जिन्हें अपकमिंग स्टार्टअप्स में इनवेस्ट करने में इंटरेस्ट होता है। ऐसे में fund के साथ साथ बिजनेस के लिए एडवाइस भी दे सकते हैं और उसे मॉनिटर भी कर सकते हैं। इन्हें एंजेल इन्वेस्टर्स कहा जाता है एन्जिल इनवेस्टर्स की हेल्प से बहुत से स्टार्टअप स्टॉप बन गए हैं जैसे गूगल, याहू और अलीबाबा। ऐसे में कंपनी की ग्रोथ के early stage में हुआ करता है जिसने इन्वेस्टर्स को 30 प्रतिशत तक equity की expectations रहती है। इंडिया की पॉप्युलर एंजेल इन्वेस्टर्स में शामिल हैं:
- Indian Angel Network
- Hyderabad Angels
- Mumbai Angels
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3. Business Incubators & Accelerators:
बिजनेस जब पहली स्टेज में हो तो Incubators & Accelerators programs अच्छे funding option साबित हो सकते हैं। ये प्रोग्राम सैकड़ों स्टार्टअप को असिस्ट करते हैं। इन्क्यूबेटर बिजनेस के लिए ऐसे पेरेंट का काम करती हैं जो उन्हें nurture करता है. Shelter tools provide करते हैं और बिजनेस के लिए ट्रेनिंग और नेटवर्क प्रोवाइड कराते हैं जबकि एक्सीलरेटर उस बिजनेस को रन कराने में हेल्प करते हैं। ये प्रोग्राम्स को जनरली 4 से 8 महीने रन करती हैं और इन्हें कमिटमेंट की जरूरत भी होती है। इंडिया के पॉप्युलर बिजनेस इनक्यूबेटर एक्सीलरेटर हैं:
- TLabs
- Cisco Launchpad
- GSF Accelerator
- Microsoft Accelerator
- Indian Angel Network
4. Bank Loans:
जब भी बिजनेस के लिए फंडिंग की जरूरत पड़ती है तो बैंक फंडिंग के लिए पहली चॉइस होते हैं। बैंक दो तरह से फाइनेंस प्रोवाइड कराता है वर्किंग कैपिटल लोन और दूसरा है फंडिंग।
- Working Capital Loan: ऐसे loans होते हैं जिन्हें small businesses liquid cash की शॉर्ट टर्म नीड को पूरा करने के लिए लेते हैं। इसकी ड्यूरेशन 6 महीने से एक साल तक की होती है
- Funding: फंडिंग प्रॉसेस में बिजनेस प्लान वैल्यूएशन डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट शेयर करना शामिल होता है जिनके बेस पर लोन सैंक्शन होता है। इंडिया के लगभग सभी बैंक्स SME finance यानी small & medium sized Enterprise फाइनेंस ऑफर करते हैं। जेसे Bank of Baroda, ICICI Bank, HDFC और Axis Bank.
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5. Microfinance and NBFC:
माइक्रोफाइनेंस में इंडिया के अंडर डेवलप्ड parts small business owners और enterpreneurs को लोन, इंश्योरेंस और मनी ट्रांसफर जैसी सुविधाएं प्रोवाइड की जाती हैं। इन पर इंटरेस्ट रेट काफी हाई होता है। यह फैसिलिटी देते हैं:
- State Bank of India
- Share Microfin Limited
- BhartiyaSamruddhi Finance Limited (BSFL)
- GramaVidiyal Micro Finance Pvt Ltd (GVMFL)
इसके अलावा कई लोग इस ऑप्शन की हेल्प भी लेते हैं जिसका नाम है NBFCs यानी Non Banking Financial Corporations जो कि ऐसी कॉरपोरेशंस होती है जो bank के कंपैरिजन में ज्यादा फ्लेक्सिबल होती है और आसानी से फंडिंग ऑप्शंस प्रोवाइड कराती है।
6. Fund Raising Through Contests:
आजकल ऐसे बहुत से कॉन्टेस्ट भी हुआ करते हैं जो fund raising के ऑपर्च्युनिटी को मैक्सिमम यूज़ करने में हेल्प करते हैं। इस तरह के कॉम्पिटिशन में entrepreneurs को प्रोडक्ट या बिजनेस प्लान तैयार करना होता है। इस तरह के कॉम्पिटिशन में जीत जाए तो आपको फंड मिल जाएगा और नहीं जीत पाए तो भी आपको स्ट्रॉन्ग प्लैटफॉर्म मीडिया कवरेज और अच्छा खासा एक्सपोजर मिल जाएगा जो बिजनेस के लिए बहुत जरूरी होता है। MD N-Gage Startup Hunt इसी तरह का hunt है।
7. Venture Capital:
यह ऐसे professionally managed funds होते हैं जो huge potential रखने वाली कंपनीज में इनवेस्ट करते हैं। वेंचर कैपिटल इनवेस्टमेंट ऐसे स्मॉल बिजनस के लिए भी appropriate होता है जो स्टार्टअप बेस से आगे आ चुके होते हैं और रेवेन्यू जेनरेट कर रहे होते हैं। इंडिया के पॉप्युलर वेंचर कैपिटलिस्ट हैं:
- Nexus Venture Partners
- Kalaari Capital
- Blume Ventures
- Canaan
- Helion Ventures
8. Bootstrapping:
bootstrapping को सेल्फ फंडिंग भी कहा जाता है जो स्टार्टअप फाइनेंसिंग का एक फैक्टर भी है। खासकर जब आपने अपना बिजनेस शुरू ही किया हो ऐसे में आप अपनी सेविंग इन्वेस्ट कर सकते हैं। अपनी फैमिली और फ्रेंड्स से कॉन्ट्रिब्यूशन ले सकते हैं और एक बार जब आप अपनी सेविंग से बिजनेस को शुरू कर लेते हैं तो इन्वेस्टर्स को अट्रैक्ट करना भी आसान हो जाता है।
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9. Government Grants:
अपने startup को फाइनेंस करने के लिए government grants का बेनिफिट भी लिया जा सकता है। government के द्वारा ऑफर की जाने वाली हर ग्रांट स्पेसिफिक होती है और उनका क्वालिफाइंग क्राइटेरिया भी डिफरेंट होता है इसलिए इस बारे में अच्छे से रिसर्च करके क्राइटेरिया मैच करके इस तरह की ग्रांट का फायदा लिया जा सकता है। इसी तरह की ग्रांट है:
- I-MADE Programme
- PradhanMantri Mudra Yojana
- ATAL Innovation Mission
इसी तरह आप फंड रेजिंग के इन 9 तरीकों में से अपने स्टार्टअप के लिए बेस्ट तरीके सिलेक्ट कर सकते हैं। ताकि आपके स्टार्टअप के लिए फंड कलेक्ट करना आसान हो जाए।